Hussainiwala border,Punjab
हुसैनीवाला बॉर्डर पंजाब के फिरोजपुर जिले में है ।
सतलुज दरिया के किनारे बसा यह एक छोटा सा लेकिन बेहद खूबसूरत गांव है,यह गांव बंटवारे के वक़्त पाकिस्तान के हिस्से में आता था ।लेकिन भारत सरकार ने अपने 13 गांव देकर इसे भारत में मिलाया ,इस गांव का इतेहसिक महत्व है
यहां सहीद ए आजम भगत सिंह की समाधि है।
लाहौर जेल में फांसी देने के बाद भगत सिंह के पार्थिव शरीर को सतलुज के किनारे हुसैनीवला में अंतिम संस्कार बिना रीति रिवाज के कर दिया ,इस जगह भगत सिंह के मा की भी समाधि है,
सतलुज दरिया के किनारे बसा यह एक छोटा सा लेकिन बेहद खूबसूरत गांव है,यह गांव बंटवारे के वक़्त पाकिस्तान के हिस्से में आता था ।लेकिन भारत सरकार ने अपने 13 गांव देकर इसे भारत में मिलाया ,इस गांव का इतेहसिक महत्व है
यहां सहीद ए आजम भगत सिंह की समाधि है।
लाहौर जेल में फांसी देने के बाद भगत सिंह के पार्थिव शरीर को सतलुज के किनारे हुसैनीवला में अंतिम संस्कार बिना रीति रिवाज के कर दिया ,इस जगह भगत सिंह के मा की भी समाधि है,
इस जगह पर सरकार ने लोगो के ज्यादा आने के लिए पार्क भी बनवाया है जाहा आप बोटिंग भी कर सकते हैं
थोड़ी ही दूर पर बॉर्डर गए सिथत है जाहा हर रोज भारत और पाकिस्तान के सैनिकों द्वारा फ्लैग होस्ट सेरिमनी का आयोजन किया जाता है,
आप 5 बजे शाम को याहा सेरेमनी का आनंद के सकते है।
यहां आप देख सकते है की कैसे एक तार की दीवारें लोगो को अलग करती है उस तरफ के लोग भी हम जैसे लेकिन इं दीवारों ने हमें एक दूसरे से अलग कर रखा है ,यह आने पर देशप्रेम अपने चरम पर होता है ।बॉर्डर के इस पार हो या उस पार दोनों तरफ के लोग देशभक्ति नारो से अपने सैनिकों का हौसला बढ़ाते है अगर कभी मौका मिले तो एक बार हुसैनीवाला जरूर जाएं ,यकीनन यह आपके लिए यादगार होगा
आप यहां भारत पाकिस्तान के बीच रेल लाइन देख सकते ह जो कि अब बंद है यहां इंडियन रेलवे का आखिरी स्टेशन है साल में एक बार यभा ट्रेन चलाई जाती है वो भगात सिंह के जन्म दिन पर बैसाखी के दिन यानहा मेला लगत है जिसमें पूरे देश से लोग सहिदो के समान में आते है इसजगह आप बीएसएफ द्वारा बनाया गया पुल भी देख सकते है जो कि 1965 वार में तोड़ दिया गया था फिर दोबारा बनाया गया ।
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